"अहो औरतों / आकृति विज्ञा 'अर्पण'" के अवतरणों में अंतर
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व्यस्त रहो तुम मस्त रहो | व्यस्त रहो तुम मस्त रहो | ||
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गंगा मैया जारी हैं | गंगा मैया जारी हैं | ||
दुनिया की ये सारी ख़ुशियाँ | दुनिया की ये सारी ख़ुशियाँ | ||
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ख़ुशियों की तुम नदिया हो | ख़ुशियों की तुम नदिया हो | ||
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फुदक फुदक कर खाओ पीओ | फुदक फुदक कर खाओ पीओ | ||
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो... | व्यस्त रहो तुम मस्त रहो... | ||
− | + | मुस्कइया तुम्हरी सुन लो ना | |
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जैसे फूल खिलन को हो | जैसे फूल खिलन को हो | ||
− | + | दोनों होठ सटे जैसे कि | |
जमुना गंग मिलन को हो | जमुना गंग मिलन को हो | ||
बाधाओं को ढाह चलो तुम | बाधाओं को ढाह चलो तुम | ||
अपने मन की राह चलो तुम | अपने मन की राह चलो तुम | ||
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टेंशन के अनगिनत किलों को | टेंशन के अनगिनत किलों को | ||
मार पैर से ध्वस्त करो... | मार पैर से ध्वस्त करो... | ||
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फुदक फुदक कर खाओ पीओ | फुदक फुदक कर खाओ पीओ | ||
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो... | व्यस्त रहो तुम मस्त रहो... | ||
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खड़ी हुई तुम जहाँ सखी | खड़ी हुई तुम जहाँ सखी | ||
वहाँ से लाइन शुरू हुई | वहाँ से लाइन शुरू हुई | ||
− | पर्वत-सा साहस | + | पर्वत-सा साहस तुममें है |
तुम तुरुपन की ताग सुई | तुम तुरुपन की ताग सुई | ||
चँहक रहे मन की संतूरी | चँहक रहे मन की संतूरी | ||
स्वस्थ रहो तुम यही ज़रूरी | स्वस्थ रहो तुम यही ज़रूरी | ||
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थाल सभी को बहुत परोसे | थाल सभी को बहुत परोसे | ||
− | अपनी थाली | + | अपनी थाली फर्स्ट करो... |
− | + | फुदक फुदक कर खाओ पीओ | |
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो | व्यस्त रहो तुम मस्त रहो | ||
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सब कुछ मुट्ठी के भीतर है | सब कुछ मुट्ठी के भीतर है | ||
− | जहाँ लगे | + | जहाँ लगे एडजस्ट करो... |
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फुदक फुदक कर खाओ पीओ | फुदक फुदक कर खाओ पीओ | ||
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो | व्यस्त रहो तुम मस्त रहो | ||
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खुद ही तुम अब डील करोगी | खुद ही तुम अब डील करोगी | ||
अपनी वाली फील करोगी | अपनी वाली फील करोगी | ||
− | कैरेक्टर के सब | + | कैरेक्टर के सब प्रश्नों को |
मुसकाकर रीविल करोगी | मुसकाकर रीविल करोगी | ||
समय बड़े घावों का हल है | समय बड़े घावों का हल है | ||
गर हिम्मत साहस सम्बल है | गर हिम्मत साहस सम्बल है | ||
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सब सिचुएशन आलराइट है | सब सिचुएशन आलराइट है | ||
चिल्ल अभी तुम जस्ट करो... | चिल्ल अभी तुम जस्ट करो... |
17:47, 28 जून 2025 के समय का अवतरण
अहो औरतों तुमसे जग है
पैमानों को ध्वस्त करो
फुदक फुदक के खाओ पीओ
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो
हँसती हो तो लगता है कि
गंगा मैया जारी हैं
दुनिया की ये सारी ख़ुशियाँ
देखो देन तुम्हारी हैं
ख़ुशियों की तुम नदिया हो
बिन कारण न कष्ट सहो...
फुदक फुदक कर खाओ पीओ
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो...
मुस्कइया तुम्हरी सुन लो ना
जैसे फूल खिलन को हो
दोनों होठ सटे जैसे कि
जमुना गंग मिलन को हो
बाधाओं को ढाह चलो तुम
अपने मन की राह चलो तुम
टेंशन के अनगिनत किलों को
मार पैर से ध्वस्त करो...
फुदक फुदक कर खाओ पीओ
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो...
खड़ी हुई तुम जहाँ सखी
वहाँ से लाइन शुरू हुई
पर्वत-सा साहस तुममें है
तुम तुरुपन की ताग सुई
चँहक रहे मन की संतूरी
स्वस्थ रहो तुम यही ज़रूरी
थाल सभी को बहुत परोसे
अपनी थाली फर्स्ट करो...
फुदक फुदक कर खाओ पीओ
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो
तुम धरती के जैसी हो
जहाँ सर्जना स्वयं सजे
सारे राग भये नतमस्तक
पायलिया जब जहाँ बजे
जो होगा तुम हल कर लोगी
पानी से बादल कर लोगी
सब कुछ मुट्ठी के भीतर है
जहाँ लगे एडजस्ट करो...
फुदक फुदक कर खाओ पीओ
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो
खुद ही तुम अब डील करोगी
अपनी वाली फील करोगी
कैरेक्टर के सब प्रश्नों को
मुसकाकर रीविल करोगी
समय बड़े घावों का हल है
गर हिम्मत साहस सम्बल है
सब सिचुएशन आलराइट है
चिल्ल अभी तुम जस्ट करो...
फुदक फुदक कर खाओ पीओ
व्यस्त रहो तुम मस्त रहो