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"जमूरा / अशोक अंजुम" के अवतरणों में अंतर

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01:14, 27 जुलाई 2025 के समय का अवतरण

वे कहते हैं
हम रोटी देंगे !
मैं तृप्ति का अनुभव करता हूँ।
वे कहते है
हम कपडे़ देंगे !
मुझे लगता है जैसे
मेरा नंगापन ढक गया,
मैं प्रसन्न होता हूँ।
वे कहते हैं
हम मकान देंगे!
मुझे जैसे हर तरफ
छत ही छत नज़र आती हैं
मैं ख़ुशी से नाच उठता हूँ,
तालियाँ बजाता हूँ।
क्या जमूरा ऐसा ही होता है
मेरे जैसा!