भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक उत्सव गीत / शुभम श्रीवास्तव ओम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभम श्रीवास्तव ओम |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
<poem> | <poem> | ||
शोकगीतों के समय में | शोकगीतों के समय में | ||
− | एक उत्सव गीत लिखकर | + | एक उत्सव-गीत लिखकर |
− | ख़ुश हुआ मन! | + | ख़ुश हुआ मन ! |
एक अँधियारा हुआ सुख | एक अँधियारा हुआ सुख | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 20: | ||
‘कथन-निष्कर्ष’-सा कुछ | ‘कथन-निष्कर्ष’-सा कुछ | ||
− | प्रश्न गीतों के समय में | + | प्रश्न-गीतों के समय में |
− | एक उत्तर गीत लिखकर | + | एक उत्तर-गीत लिखकर |
− | कुछ हुआ मन! | + | कुछ हुआ मन ! |
एक सीमा | एक सीमा | ||
पंक्ति 33: | पंक्ति 33: | ||
पिस्तौल-पत्थर | पिस्तौल-पत्थर | ||
− | युद्ध गीतों के समय में | + | युद्ध-गीतों के समय में |
− | एक सहमति गीत लिखकर | + | एक सहमति-गीत लिखकर |
− | चुप हुआ मन! | + | चुप हुआ मन ! |
</poem> | </poem> |
05:30, 3 अगस्त 2025 के समय का अवतरण
शोकगीतों के समय में
एक उत्सव-गीत लिखकर
ख़ुश हुआ मन !
एक अँधियारा हुआ सुख
अजनबीपन
देह पर अपनी
न चाहा स्पर्श-सा कुछ
गीत आदिम चाहता मन
और जीवन
हो रहा मुश्किल
‘कथन-निष्कर्ष’-सा कुछ
प्रश्न-गीतों के समय में
एक उत्तर-गीत लिखकर
कुछ हुआ मन !
एक सीमा
एक निजता-सामूहिकता
लोग अब ज़्यादा सहज हैं
पक्ष बनकर
हर असहमति के लिए
है प्रति-असहमति
हाथ में लेकर खड़ी
पिस्तौल-पत्थर
युद्ध-गीतों के समय में
एक सहमति-गीत लिखकर
चुप हुआ मन !