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"कोयल / सूर्यकुमार पांडेय" के अवतरणों में अंतर

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सब के मन को हरता कोयल,
जग में खुशियाँ भरता कोयल ।

अपनी बोली में हरदम ही,
मिसरी घोला करता कोयल ।

बच्चों के मन भाता कोयल,
है वसन्त में आता कोयल ।

तन का काला मन से उजला,
कू कू गीत सुनाता कोयल ।