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"जो तुम आ जाते एक बार / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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16:16, 6 जुलाई 2006 का अवतरण
जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करूणा कितने संदेश पथ में बिछ जाते बन पराग गाता प्राणों का तार तार अनुराग भरा उन्माद राग आँसू लेते वे पथ पखार जो तुम आ जाते एक बार ।
हंस उठते पल में आद्र नयन धुल जाता होठों से विषाद छा जाता जीवन में बसंत लुट जाता चिर संचित विराग आँखें देतीं सर्वस्व वार जो तुम आ जाते एक बार ।