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"कुछ तबीयत ही मिली थी / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर
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दोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई<br><br> | दोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई<br><br> | ||
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+ | अदावत - दुश्मनी |
23:00, 16 दिसम्बर 2008 का अवतरण
शायर: निदा फ़ाज़ली
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कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत ना हुई
जिसको चाहा उसे अपना ना सके जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई
जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले दिल जो बदला तो फसाना बदला
रस्में दुनिया की निभाने के लिए हमसे रिश्तों की तिज़ारत ना हुई
तिज़ारत - व्यापार , व्यवसाय
दूर से था वो कई चेहरों में पास से कोई भी वैसा ना लगा
बेवफ़ाई भी उसी का था चलन फिर किसीसे भी शिकायत ना हुई
वक्त रूठा रहा बच्चे की तरह राह में कोई खिलौना ना मिला
दोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई
अदावत - दुश्मनी