भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"केदारनाथ सिंह को याद करते हुए / निशांत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: </poem> {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशांत |संग्रह= }} <Poem> पहली बार कहाँ देखा था केद...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | |||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 7: | ||
<Poem> | <Poem> | ||
पहली बार | पहली बार | ||
− | कहाँ देखा था केदारनाथ सिंह को | + | कहाँ देखा था [[केदारनाथ सिंह]] को |
कोलकाता के ठनठनियों काली मंदिर के पास | कोलकाता के ठनठनियों काली मंदिर के पास | ||
एक गोरा-गारा ठिगना आदमी | एक गोरा-गारा ठिगना आदमी | ||
चला जा रहा था दो-चार लोगों के साथ | चला जा रहा था दो-चार लोगों के साथ | ||
− | "यही केदारनाथ सिंह हैं। | + | "यही [[केदारनाथ सिंह]] हैं। |
हिंदी के सबसे बड़े कवि।" | हिंदी के सबसे बड़े कवि।" | ||
मित्र प्रकाश ने कहा था | मित्र प्रकाश ने कहा था | ||
पंक्ति 36: | पंक्ति 35: | ||
तुम्हारे कारण | तुम्हारे कारण | ||
− | केदारनाथ सिंह! | + | [[केदारनाथ सिंह]]! |
धन्यवाद! | धन्यवाद! | ||
</poem> | </poem> |
18:02, 27 दिसम्बर 2008 के समय का अवतरण
पहली बार
कहाँ देखा था केदारनाथ सिंह को
कोलकाता के ठनठनियों काली मंदिर के पास
एक गोरा-गारा ठिगना आदमी
चला जा रहा था दो-चार लोगों के साथ
"यही केदारनाथ सिंह हैं।
हिंदी के सबसे बड़े कवि।"
मित्र प्रकाश ने कहा था
"नहीं, एशिया के सबसे बड़े कवि।"
पत्रकार कृपाशंकर चौबे ने कहा था
हम
अभिभूत थे
क़िताबों से निकलकर
एक सच्ची-मुच्ची आदमी खड़ा था
हमारे बीच
थोड़ा सा छूकर
देखना चाहते थे उन्हें हम
चाहते थे
हो जाए एक फ़ोटो
उनके साथ
बड़े होने के बाद
एक बार बचपन फिर आ गया था हमारे अंदर
तुम्हारे कारण
केदारनाथ सिंह!
धन्यवाद!