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"आज फिर मुझको खिड़की से/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर

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'''लेखन वर्ष: २००३
 
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आज फिर मुझको खिड़की से
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हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी
दिख रहा है चाँद आधा-आधा
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जिसको लोहा कहा गया था
  
जिस तरह से मैं जी रहा हूँ
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मगर जब उतरे बर्ग़े-बहार
वो भी कहीं जी रहा है आधा-आधा
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दोस्ताना मोर्चा खा गया था
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'''बर्ग़े-बहार'''= बहार के पत्ते, '''मोर्चा'''= जंग, rust
 
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07:11, 29 दिसम्बर 2008 का अवतरण

लेखन वर्ष: २००३

हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी
जिसको लोहा कहा गया था

मगर जब उतरे बर्ग़े-बहार
दोस्ताना मोर्चा खा गया था

बर्ग़े-बहार= बहार के पत्ते, मोर्चा= जंग, rust