भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वक़्त का पहना उतार आये/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र' }} category: गीत <poem> '''लेखन वर्ष: २०...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:36, 29 दिसम्बर 2008 का अवतरण
लेखन वर्ष: २००३
वक़्त का पहना उतार आये
कुछ लम्हे मरके गुज़ार आये
ख़ाबों में सही अपना तो माना
दिल को मेरे अपना तो जाना
खट्टे-मीठे रिश्ते चख लिये हैं
कुछ सच्चे पलकों पे रख लिये हैं
ख़ाहिशों का बवण्डर है दिल
दिल को उसके दर पे छोड़ आये
तेरी रज़ा क्या मेरी रज़ा क्या
वफ़ाई-बेवफ़ाई की वजह क्या
दस्तूर-ए-इश्क़ से रिश्ते हुए हैं
दिलों में रहकर फ़रिश्ते हुए हैं
ख़ला-ख़ला सजायी एक महफ़िल
महफ़िलों से उठके चले आये
वक़्त का पहना उतार आये
कुछ लम्हे मरके गुज़ार आये