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"खोयी हुई चीज़ / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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वह खोई हुई चीज़ नहीं मिलती
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झलक आती है अंधेरे में हम उससे मिलती-जुलती
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घर में रास्ते में बरसों बाद भी कौंध जाती
 
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है वह खोई हुई चीज़ । और जब चीज़ों के
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खोने के बारे में बातें होती हैं,
 
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वही याद आती है सबसे अधिक ।
 
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11:29, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

वह खोई हुई चीज़ नहीं मिलती
दिनों तक कितनी ही चीज़ों में उसकी
झलक आती है अंधेरे में हम उससे मिलती-जुलती
चीज़ को उठाकर तौलने भी लगते हैं ।
घर में रास्ते में बरसों बाद भी कौंध जाती
है वह खोई हुई चीज़ । और जब चीज़ों के
खोने के बारे में बातें होती हैं,
वही याद आती है सबसे अधिक ।