|संग्रह=यह एक दिन है / प्रयाग शुक्ल
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<Poem>
मेरी बेटी ने नहीं देखा मेरी नानी को ।
(नानी की कोई तस्वीर भी नहीं है मेरे पास )
मुझे भी अपनी नानी की धुँधलीधुंधली-सी याद है ।
नानी गाँव के एक घर में रहती थी
(उजले आँगन आंगन और अंधियारे कमरों के घर में}
नानी के गाँव में एक नहर थी ।
नानी अपने एक बेटे के पास रहती थी । शहर में ।
(छूटा जब गाँव का घर )
बूढ़ी नानी । एक छुट्टियों में हमें जब
गाड़ी पकड़नी थी रात की-- नानी
अपने संदूक को खोल कर
कुछ ढूँढ ढूंढ रही थी टटोलती--
नानी ने मुझे कोई चीज़ दी थी--
शायद हरे-काले से हो
गये कुछ पैसे
कुछ ठीक से याद नहीं
नानी ने कोई चीज़ दी तो थी ज़रूर !
नानी का चेहरा-- वह तो और
भी याद नहीं ।
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