भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पता नहीं / जयप्रकाश मानस" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=जयप्रकाश मानस | |
+ | |संग्रह=होना ही चाहिए आंगन / जयप्रकाश मानस | ||
+ | }} | ||
− | |||
कभी मीठा-खारा पानी<br> | कभी मीठा-खारा पानी<br> | ||
पंक्ति 16: | पंक्ति 17: | ||
नाचा के मुखौटे<br> | नाचा के मुखौटे<br> | ||
कभी भी मिल सकते हैं<br> | कभी भी मिल सकते हैं<br> | ||
− | यह सब पता है हम | + | यह सब पता है हम सभी को <br> |
पता नहीं है <br> | पता नहीं है <br> | ||
हम कहाँ उड़ रहे... | हम कहाँ उड़ रहे... |
02:25, 5 मार्च 2008 के समय का अवतरण
कभी मीठा-खारा पानी
लोहा पत्थर कभी
कुछ-न-कुछ होता है प्राप्य
जब ज़मीन खोदते हैं आप या हम
पितरों की अनझुकी रीढ़ के अवशेष
माखुर की डिबिया
चोंगी सुपचाने वाली चकमक
मूर्ति में देवता
देवता के हाथों में त्रिशूल खड्ग बाण
नाचा के मुखौटे
कभी भी मिल सकते हैं
यह सब पता है हम सभी को
पता नहीं है
हम कहाँ उड़ रहे...