कवि: [[जयप्रकाश मानस]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=जयप्रकाश मानस]]|संग्रह=होना ही चाहिए आंगन / जयप्रकाश मानस~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ }}
डेरा उसाल अनदेखे ठिकाने के लिए
समुद्री छाँव में घन-सघन वृक्षों की
सुस्ता रहे थके माँदे मांदे अजनबी कुछ लोग
कुछ मीठी नींद में खर्राटे भर रहे
इतनी सारी चीज़ें छोड़ जानी है
कुछ ज्यादा ज़्यादा ही तादाद में
जाने से पहले