भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रात में बहन-घर / प्रेमरंजन अनिमेष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमरंजन अनिमेष |संग्रह=मिट्टी के फल / प्रेमरं...)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:45, 8 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

मैं तो हुई तबाह तबाह !

कब करने देते हैं कुछ भी
हैं शैतान तीन-तीन
फिर भी कैसे-कैसे करके
कुछ मीठा और कुछ नमकीन

देखो बना के रक्खा था
कि तुम खाओगे
देखो लगा ये कैसे मुझको
तुम आओगे

लाती बहन थाल में क्या-क्या
खाता हूँ मैं सराह-सराह !