भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"परखचे अपने उड़ाना दोस्तो आसां नहीं / प्राण शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्राण शर्मा }} Category:ग़ज़ल <poem> परखचे अपने उड़ाना द...)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:53, 9 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

परखचे अपने उड़ाना दोस्तो आसाँ नहीं
आपबीती को सुनाना दोस्तो आसाँ नहीं

ख़ूबियाँ अपनी गिनाते तुम रहो यूँ ही सभी
ख़ामियां अपनी गिनाना दोस्तो आसाँ नहीं

देखने में लगता है यह हल्का-फुल्का सा मगर
बोझ जीवन का उठाना दोस्तों आसाँ नहीं
 
रूठी दादी को मनाना माना कि आसान है
रूठे पोते को मनाना दोस्तो आसाँ नहीं

तुम भले ही मुस्कुराओ साथ बच्चों के मगर
बच्चों जैसा मुस्कुराना दोस्तो आसाँ नहीं
 
दोस्ती कर लो भले ही हर किसी से शौक से
दोस्ती सब से निभाना दोस्तो आसाँ नहीं

आँधी के जैसे बहो या बिजली के जैसे गिरो
होश हर इक के उड़ाना दोस्तो आसाँ नहीं
 
कोई पथरीली ज़मीं होती तो उग आती मगर
घास बालू में उगाना दोस्तो आसाँ नहीं

एक तो है तेज़ पानी और उस पर बारिशें
नाव काग़ज़ की बहाना दोस्तो आसाँ नहीं
 
आदमी बनना है तो कुछ ख़ूबियाँ पैदा करो
आदमी ख़ुद को बनाना दोस्तों आसाँ नहीं