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"मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर

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03:09, 10 जनवरी 2009 का अवतरण

मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है
हुकूमत के इशारे पर तो मुर्दा बोल सकता है

हुकूमत की तवज्जो चाहती है ये जली बस्ती
अदालत पूछना चाहे तो मलबा बोल सकता है

कई चेहरे अभी तक मुंहजबानी याद हैं इसको
कहीं तुम पूछ मत लेना ये गूंगा बोल सकता है

यहां पर नफरतों ने कैसे कैसे गुल खिलाये हैं
लुटी अस्मत बता देगी दुपट्टा बोल सकता है

बहुत सी कुर्सियां इस मुल्क में लाशों पे रखी हैं
ये वो सच है जिसे झूठे से झूठा बोल सकता है

सियासत की कसौटी पर परखिये मत वफादारी
किसी दिन इंतकामन मेरा गुस्सा बोल सकता है