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− | आसमान में उड़ती चील की झोली में अनगिनत | + | आसमान में उड़ती |
+ | चील की झोली में | ||
+ | अनगिनत मुट्ठियाँ रेत है | ||
+ | जमीन पर फले | ||
+ | कबूतरों के लिए | ||
जिस छोर से भी | जिस छोर से भी | ||
फड़फड़ाते हैं पंख | फड़फड़ाते हैं पंख | ||
एक मुट्ठी रेत | एक मुट्ठी रेत | ||
− | फेंक देती है चील और व्यस्त हो जाते हैं कबूतर | + | फेंक देती है चील |
− | चील की इस चाल पर जब सिर उठाते हैं कबूतर चील छेड़ देती है मल्हार सावन के अंधों के लिए | + | और व्यस्त हो जाते हैं कबूतर |
− | खाली पेट कहीं शुरू होता है तांडव कहीं नंगे तन | + | दाना–दाना खोजने में |
− | पहाड़ से समुद्र तक फैली जमीन पर कबूतरों की | + | |
− | बहुत कम दिखाई पड़ते हैं | + | चील की इस चाल पर |
+ | जब सिर उठाते हैं कबूतर | ||
+ | चील छेड़ देती है मल्हार | ||
+ | सावन के अंधों के लिए | ||
+ | ज्यों–ज्यों बदलते हैं मौसम | ||
+ | चील बदल देती है राग | ||
+ | खाली पेट कहीं शुरू होता है तांडव | ||
+ | कहीं नंगे तन भरत–नाट्यम् | ||
+ | और कहीं रणबाँकुरे करने लगते अभ्यास | ||
+ | पहाड़ से समुद्र तक | ||
+ | फैली जमीन पर | ||
+ | कबूतरों की गुटरगूँ | ||
+ | और चील का राग है | ||
+ | बहुत कम दिखाई पड़ते हैं | ||
+ | डफलियाँ लिए वे कुछ हाथ | ||
+ | जिनका अपना–अपना राग है | ||
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04:27, 14 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
आसमान में उड़ती
चील की झोली में
अनगिनत मुट्ठियाँ रेत है
जमीन पर फले
कबूतरों के लिए
जिस छोर से भी
फड़फड़ाते हैं पंख
एक मुट्ठी रेत
फेंक देती है चील
और व्यस्त हो जाते हैं कबूतर
दाना–दाना खोजने में
चील की इस चाल पर
जब सिर उठाते हैं कबूतर
चील छेड़ देती है मल्हार
सावन के अंधों के लिए
ज्यों–ज्यों बदलते हैं मौसम
चील बदल देती है राग
खाली पेट कहीं शुरू होता है तांडव
कहीं नंगे तन भरत–नाट्यम्
और कहीं रणबाँकुरे करने लगते अभ्यास
पहाड़ से समुद्र तक
फैली जमीन पर
कबूतरों की गुटरगूँ
और चील का राग है
बहुत कम दिखाई पड़ते हैं
डफलियाँ लिए वे कुछ हाथ
जिनका अपना–अपना राग है