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"दफ़्तर / तुलसी रमण" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=तुलसी रमण
 
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|संग्रह=घर एक यात्रा / तुलसी रमण
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|संग्रह=ढलान पर आदमी / तुलसी रमण
 
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18:51, 14 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

एक साँचों का घर है
जिसके अलग-अलग आकार के
अनेक साँचों में
एक ही आदमी रहता है
हर सुबह
सायरन बजने पर
साचों के के घर में घुसता है
और दिन भर
हर साँचे के आकार में
फैलता और
सिकुड़ता जाता है
सबसे बड़े साँचे से
सबसे छोटे साँचे की ओर
आदेश का दरिया
             बहता है
सबसे छोटे साँचे से
सबसे बड़े साँचे तक
सर-सर हवा
निसरती है