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"चुप-चाप / तुलसी रमण" के अवतरणों में अंतर

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11:21, 15 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

आज तुम
खूब आईं....

कितना अच्छा लगता है
एक बहाने के पहिए पर बिना काम
किसी का आना
किना काम
किसी पहिए का पास जाना....

इसके सेवा ज़िंदगी की
कमाई भी क्या है
पल-पल घुलते रहना
एक दूसरे में
चुपचाप
चुपचाप