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लड़की / मोहन साहिल

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मेरे पास रोज रोज़ एक छोटी लड़की बैठती हैदेखती है कोरा कागज़्-काग़ज़
और उस पर लिखे जा रहे शब्द
नन्ही हथेलियों पर मेहंदी रचाए
मुश्किल है कहानी का अंत करना
और लड़की को संभालना
खत्म ख़त्म हो गया है दुखांत कहानियों का दौर
लड़की को लेकर लिखी जाने वाली कहानी
अब सुखांत होगी
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