"अँगना में रौरा मचाइल चिरैयाँ सत / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=खड़ी बोली }} <poem> अँगना मे...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
सात बहिन घर आइत | सात बहिन घर आइत | ||
-जाइत ,मुख सुखला ,थक भइला , | -जाइत ,मुख सुखला ,थक भइला , | ||
− | साँझ परिल तो माँगि बिदा भइया आपुन घर गइला | + | साँझ परिल तो माँगि बिदा भइया आपुन घर गइला! |
− | ! | + | |
अगिल भोर पनघट पर हँसि | अगिल भोर पनघट पर हँसि | ||
-हँसि बतियइली सतबहिनी ! | -हँसि बतियइली सतबहिनी ! | ||
− | हमका दिहिन भैया सतरँग | + | हमका दिहिन भैया सतरँग लहंगा |
,हम पाये पियरी चुनरिया , | ,हम पाये पियरी चुनरिया , | ||
सेंदुर | सेंदुर | ||
− | -बिछिया हमका मिलिगा ,हम | + | -बिछिया हमका मिलिगा ,हम बाँहन भर चुरियाँ ! |
− | भोजन पानी कौने कीन्हेल अब बूझैं सतबहिनी | + | भोजन पानी कौने कीन्हेल अब बूझैं सतबहिनी ! |
− | ! | + | |
का पकवान खिलावा री जिजिया ? | का पकवान खिलावा री जिजिया ? | ||
पंक्ति 42: | पंक्ति 40: | ||
-रोइ सतबहिनी ! | -रोइ सतबहिनी ! | ||
− | ' | + | 'तुम ना खबाएल जेठी ?', 'तू का किहिल कनइठी?' इक दूसर सों कहलीं |
− | तुम ना खबाएल जेठी ?', 'तू का किहिल कनइठी?' इक दूसर सों कहलीं | + | |
एकल हमार भइया | एकल हमार भइया | ||
, कोऊ तओ न पुछली सब पछताइतत रहिलीं ! | , कोऊ तओ न पुछली सब पछताइतत रहिलीं ! | ||
− | साँझ सकारे नित चिचिहाव मचावें गुरगुचियाँ सतबहिनी | + | साँझ सकारे नित चिचिहाव मचावें गुरगुचियाँ सतबहिनी! |
− | ! | + |
11:24, 22 जनवरी 2009 का अवतरण
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
अँगना में रौरा मचाइल चिरैयाँ सत
-बहिनी !
बिरछन पे चिक
-चिक ,किरैयन में किच-किच,चोंचें नचाइ पियरी पियरी !
चिरैयाँ सत-बहिनी !
एकहि गाँव बियाहिल सातो बहिनी,मइके अकेल छोट भइया ,
'बिटियन की सुध लै आवहु रे बिटवा ' कहि के पठाय दिहिल मइया !
'माई पठाइल रे भइया , मगन भइ गइलीं चिरैंयाँ सत-बहिनी !'
सात बहिन घर आइत
-जाइत ,मुख सुखला ,थक भइला ,
साँझ परिल तो माँगि बिदा भइया आपुन घर गइला!
अगिल भोर पनघट पर हँसि
-हँसि बतियइली सतबहिनी !
हमका दिहिन भैया सतरँग लहंगा
,हम पाये पियरी चुनरिया ,
सेंदुर
-बिछिया हमका मिलिगा ,हम बाँहन भर चुरियाँ !
भोजन पानी कौने कीन्हेल अब बूझैं सतबहिनी !
का पकवान खिलावा री जिजिया ?
मीठ दही तू दिहली ?
री छोटी तू चिवरा बतासा चलती बार न किहली ?
तू
-तू करि-करि सबै रिसावैं गरियावैं सतबहिनी !
भूखा
-पियासा गयेल मोर भइया , कोउ न रसोई जिमउली ,
दधि
-रोचन का सगुन न कीन्हेल कहि -कहि सातों रोइली ,
उदबेगिल सब दोष लगावैं रोइ
-रोइ सतबहिनी !
'तुम ना खबाएल जेठी ?', 'तू का किहिल कनइठी?' इक दूसर सों कहलीं
एकल हमार भइया
, कोऊ तओ न पुछली सब पछताइतत रहिलीं !
साँझ सकारे नित चिचिहाव मचावें गुरगुचियाँ सतबहिनी!