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"ये हासिल है तो क्या हासिल बयाँ से / मोमिन" के अवतरणों में अंतर
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− | + | मेरा बचना बुरा है आप ने क्यों | |
+ | अयादत की लब-ए-मोजज़ बयाँ से | ||
− | वो आए हैं पशेमाँ लाश पर अब | + | वो आए हैं पशेमाँ लाश पर अब |
− | तुझे ए ज़िन्दगी लाऊँ कहाँ से | + | तुझे ए ज़िन्दगी लाऊँ कहाँ से |
− | न बोलूँगा न बोलूँगा कि मैं हूँ | + | न बोलूँगा न बोलूँगा कि मैं हूँ |
− | ज़्यादा बद गुमाँ उस बदगुमाँ से | + | ज़्यादा बद गुमाँ उस बदगुमाँ से |
− | न बिजली जलवा फ़रमा है न सय्याद | + | न बिजली जलवा फ़रमा है न सय्याद |
− | निकल कर क्या करें हम आशयाँ से | + | निकल कर क्या करें हम आशयाँ से |
− | बुरा अंजाम है आग़ाज़-ए-बद का | + | बुरा अंजाम है आग़ाज़-ए-बद का |
− | जफ़ा की हो गई खू इमतिहाँ से | + | जफ़ा की हो गई खू इमतिहाँ से |
− | + | खुदा की बेनियाज़ी हाय 'मोमिन | |
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− | खुदा की बेनियाज़ी हाय 'मोमिन | + | |
हम ईमाँ लाए थे नाज़-ए-बुताँ से | हम ईमाँ लाए थे नाज़-ए-बुताँ से | ||
− | + | '''शब्दार्थ: | |
− | + | लब-ए-मोजज़: बीमार का हाल जानना, आग़ाज़-ए-बद: बुरा, खू: आदत, बेनियाज़ी: लापरवाही, नाज़-ए-बुताँ: हसीनों के नख़रे | |
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14:24, 22 जनवरी 2009 का अवतरण
[category: ग़ज़ल]
ये हासिल है तो क्या हासिल बयाँ से
कहूँ कुछ और कुछ निकले ज़ुबाँ से
बुरा है इश्क़ का अंजाम यारब
बचना फ़ितना-ए-आखिर ज़माँ से
मेरा बचना बुरा है आप ने क्यों
अयादत की लब-ए-मोजज़ बयाँ से
वो आए हैं पशेमाँ लाश पर अब
तुझे ए ज़िन्दगी लाऊँ कहाँ से
न बोलूँगा न बोलूँगा कि मैं हूँ
ज़्यादा बद गुमाँ उस बदगुमाँ से
न बिजली जलवा फ़रमा है न सय्याद
निकल कर क्या करें हम आशयाँ से
बुरा अंजाम है आग़ाज़-ए-बद का
जफ़ा की हो गई खू इमतिहाँ से
खुदा की बेनियाज़ी हाय 'मोमिन
हम ईमाँ लाए थे नाज़-ए-बुताँ से
शब्दार्थ:
लब-ए-मोजज़: बीमार का हाल जानना, आग़ाज़-ए-बद: बुरा, खू: आदत, बेनियाज़ी: लापरवाही, नाज़-ए-बुताँ: हसीनों के नख़रे