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"मौन आहों में बुझी तलवार / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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मौन आहों में बुझी तलवार | मौन आहों में बुझी तलवार | ||
तैरती है बादलों के पार। | तैरती है बादलों के पार। | ||
चूमकर ऊषाभ आशा अधर | चूमकर ऊषाभ आशा अधर | ||
गले लगते हैं किसी के प्राण। | गले लगते हैं किसी के प्राण। | ||
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यह कसकता, यह उभरता द्वंद्व | यह कसकता, यह उभरता द्वंद्व | ||
तुम्हें पाने मधुरतम उर में, | तुम्हें पाने मधुरतम उर में, | ||
तोड़ देने धैर्य-वलयित हृदय | तोड़ देने धैर्य-वलयित हृदय | ||
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परम अंतर्मिलन के उपरांत | परम अंतर्मिलन के उपरांत |
02:16, 23 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
1
मौन आहों में बुझी तलवार
तैरती है बादलों के पार।
चूमकर ऊषाभ आशा अधर
गले लगते हैं किसी के प्राण।
– गह न पाएगा तुम्हें मध्याह्न :
छोड़ दो न ज्योति का परिधान!
2
यह कसकता, यह उभरता द्वंद्व
तुम्हें पाने मधुरतम उर में,
तोड़ देने धैर्य-वलयित हृदय
उठा।
परम अंतर्मिलन के उपरांत
प्राप्त कर आनंद मन एकांत
खिला मृदु मधु शांत।
(1945)