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"व्रजमंडल नभ में उमड़-घुमड़ घिर आए आषाढ़ी बादल / प्रेम नारायण 'पंकिल'" के अवतरणों में अंतर

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उग गया पुरंदर धनुष ध्वनित उड़ चले विहंगम दल के दल ।
 
उग गया पुरंदर धनुष ध्वनित उड़ चले विहंगम दल के दल ।
 
उन्मत्त मयूरी उठी थिरक श्यामली निरख नीरद माला ।
 
उन्मत्त मयूरी उठी थिरक श्यामली निरख नीरद माला ।
कर पर कपोल रखा निभृत कुञ्ज में अश्रु बहाती ब्रजबाला ।
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कर पर कपोल रख निभृत कुञ्ज में अश्रु बहाती ब्रजबाला ।
 
मृदु कीर गर्भ पांडुर कपोल पर बिखर गयी कज्जल रेखा ।
 
मृदु कीर गर्भ पांडुर कपोल पर बिखर गयी कज्जल रेखा ।
 
विरहिणी राधिका उठी चीख जब जलद कृष्णवर्णी देखा ।
 
विरहिणी राधिका उठी चीख जब जलद कृष्णवर्णी देखा ।

00:01, 2 फ़रवरी 2009 का अवतरण

 

व्रजमंडल नभ में उमड़-घुमड़ घिर आए आषाढ़ी बादल ।
उग गया पुरंदर धनुष ध्वनित उड़ चले विहंगम दल के दल ।
उन्मत्त मयूरी उठी थिरक श्यामली निरख नीरद माला ।
कर पर कपोल रख निभृत कुञ्ज में अश्रु बहाती ब्रजबाला ।
मृदु कीर गर्भ पांडुर कपोल पर बिखर गयी कज्जल रेखा ।
विरहिणी राधिका उठी चीख जब जलद कृष्णवर्णी देखा ।
घनश्याम पधारो बिलख रही बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन वन के वनमाली ॥