"'सौदा' गिरफ़्ता-दिल को न लाओ सुख़न के बीच / सौदा" के अवतरणों में अंतर
विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सौदा }} category: ग़ज़ल <poem> 'सौदा' गिरफ़्ता-दिल को न लाओ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:49, 3 फ़रवरी 2009 का अवतरण
'सौदा' गिरफ़्ता-दिल को न लाओ सुख़न1 के बीच
जूँ-ग़ुँचा2 सौ ज़बान है उसके दहन3 के बीच
पानी हो बह गये मिरे आज़ा4 नयन की राह
बाक़ी है जूँ-हुबाब5 नफ़स6 पैरहन7 के बीच
जिनने न देखी हो शफ़क़े-सुब्ह8 की बहार
आकर तेरे शहीद को देखे कफ़न के बीच
वो ख़ारे-सुर्ख़-रू9 नहीं अहले-जुनूँ के पास
पाबोस को10 मिरी जो न पहुँचा हो बन के बीच
आतिशकदे में देख कि शोला है बेक़रार
आराम दिलजलों को नहीं है वतन के बीच
बाद-अज़-शबाब11 हों तिरी अँखियाँ ज़ियादा मस्त
होता है ज़ोरे-कैफ़12 शराबे-कुहन के बीच13
'सौदा' मैं अपने यार से चाहा कि कुछ कहूँ
वैसी की इक निगह कि रही मन की मन के बीच
शब्दार्थ:
1. बातचीत 2. कली की तरह 3. मुँह 4. अंग 5. बुलबुले की तरह 6. साँस 7. वस्त्र 8. उषा 9. लाल हो चुका काँटा 10. पाँव चूमने के लिए 11. जवानी आने के बाद 12. मस्ती का ज़ोर 13. पुरानी शराब