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"कंठ को तैयार करना सीख जाते हैं / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर
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लोग जिन डंडों से अपने सोर बचाते हैं | लोग जिन डंडों से अपने सोर बचाते हैं | ||
लोग उनसे वार करना सीख जाते हैं | लोग उनसे वार करना सीख जाते हैं | ||
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10:20, 4 फ़रवरी 2009 का अवतरण
कंठ को तैयार करना सीख जाते हैं
लोग जयजयकार करना सीख जाते हैं
आज समझौतों के युग में सर्द अँगारे
बर्फ़-सा व्यवहार करना सीख जाते हैं
लोग अपने स्वार्थ, अपने लाभ की ख़ातिर
भेड़ियों से प्यार करना सीख जाते हैं
जो कमल के फूल पाना चाहत्रे हैं -वे
कीच को स्व्वीकार करना सीख जाते हैं
लोग जिन डंडों से अपने सोर बचाते हैं
लोग उनसे वार करना सीख जाते हैं