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"हैलीकॉपटर से घर की छत / तेज राम शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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12:51, 4 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

कैसा लगता है जब
हेलिकॉप्टर से साफ दिखे
पहाड़ की ओट में दुबके
अपने घर की स्लेट छत
हेलिकॉप्टर से घर
घर से हेलिकॉप्टर का दिखना
स्मृतियों के दो छोर पर
पास-पास होते हुए भी
कितना दूर
कितना अलग


साफ नीरव आकाश
सुबह-सुबह की खिलखिलाती धूप
स्वागत में हाथ मिलाती-सी
देवदार की चोटियाँ
दूर सतलुज की क्षीण नीली बल खाती रेखा
छतों पर धूप सेंकते मक्की के भुट्टे
नदी तल के श्मशान से
स्वर्ग तक सीढियाँ ही सीढि़याँ
भूत-प्रेतों के रहस्य छिपाए घने वन
चरागाहों में पशु और केश संवारती महिलाएं
टा... टा... कररते स्कूली बच्चे
सपनों में भरते
पक्षियों जैसी उड़ानें

पहाड़ की चोटियों को पैदल लाँघते
उन यात्राओं के दर्द अतृप्त
इच्छाओं के चक्रव्यूह
जीवन और मृत्यु के बीच अंतहीन यात्राएँ
हेलिकॉप्टर से खोजती पथ धरती पर।