भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कविता / श्रीनिवास श्रीकांत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत |संग्रह=घर एक यात्रा है / श्...)
(कोई अंतर नहीं)

17:38, 4 फ़रवरी 2009 का अवतरण

वायवीय है कविता
नदी
एक पिघलती हुई
धमनियों से रिसता
रक्त
शरीर से फूटता
एक नया
शरीर
दर्पण के अन्दर दर्पण

खुलती किसी में आँख की तरह
किसी में उभरता प्रतिबिम्ब
कवि पैदा करता है
नए अर्थ
मगर अपने कायान्तर में भी
वह
होती है वही |