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"कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले <br>
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कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले
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फानूस की न आस हो , उस पर हवा चले
  
फानूस = काँच का कवर
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कब तक किसी के साथ, कोई रहनुमा चले
  
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नफ़रत की आँधियाँ कभी, बदले की आग है<br>
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“श्रद्धा” बताओ तुम वहाँ फ़िर क्या दुआ चले
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सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले<br><br>
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“श्रद्धा” बताओ तुम वहाँ फ़िर क्या दुआ चले <br><br>
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19:08, 4 फ़रवरी 2009 का अवतरण

कितना है दम चराग़ में, तब ही पता चले
फानूस की न आस हो , उस पर हवा चले

लेता हैं इम्तिहान अगर, सब्र दे मुझे
कब तक किसी के साथ, कोई रहनुमा चले

नफ़रत की आँधियाँ कभी, बदले की आग है
अब कौन लेके झंडा –ए- अमनो-वफ़ा चले

चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल पर
सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले

खंजर लिये खड़ें हों अगर मीत हाथ में
“श्रद्धा” बताओ तुम वहाँ फ़िर क्या दुआ चले