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"गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा
 
क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा
  
आज सूरज का रुख़ हमारी तरफ़
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आज सूरज का रुख़ है हमारी तरफ़
 
ये बदन मोम का है पिघल जायेगा
 
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08:09, 10 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा
ज़िन्दगी तेरा चेहरा बदल जायेगा

कुछ लिखो मर्सिया मसनवी या ग़ज़ल
कोई काग़ज़ हो पानी में गल जायेगा

अब उसी दिन लिखूँगा दुखों की ग़ज़ल
जब मेरा हाथ लोहे में ढल जायेगा

मैं अगर मुस्कुरा कर उन्हें देख लूँ
क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा

आज सूरज का रुख़ है हमारी तरफ़
ये बदन मोम का है पिघल जायेगा