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"अफ़साना-ए-उल्फ़त है, इशारों से कहेंगे.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
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− | बस अहद -ए- मोहब्बत, इन्हीं चारों से कहेंगे | + | बस अहद-ए-मोहब्बत, इन्हीं चारों से कहेंगे |
आगोश में मिल जाए समंदर जो वफ़ा का | आगोश में मिल जाए समंदर जो वफ़ा का | ||
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आँखों में हैं जल जाते, वफाओं के जो जुगनू | आँखों में हैं जल जाते, वफाओं के जो जुगनू | ||
जज़्बात ये “श्रद्धा” के, हज़ारों से कहेंगे | जज़्बात ये “श्रद्धा” के, हज़ारों से कहेंगे | ||
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16:52, 10 फ़रवरी 2009 का अवतरण
अफ़साना-ए-उल्फ़त है, इशारों से कहेंगे
गर तुम न सुनोगे, तो सितारों से कहेंगे
हम सिद्क़-ओ-इबादत से कभी अज़्म-ओ-अदा से
बस अहद-ए-मोहब्बत, इन्हीं चारों से कहेंगे
आगोश में मिल जाए समंदर जो वफ़ा का
हम अलविदा दुनिया के, किनारों से कहेंगे
चेहरे से चुराओगे जो सुर्खी-ए-तब्ब्सुम
क़िस्सा उड़ी रंगत का, बहारों से कहेंगे
आँखों में हैं जल जाते, वफाओं के जो जुगनू
जज़्बात ये “श्रद्धा” के, हज़ारों से कहेंगे