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"नै बुलबुले-चमन न गुले-नौदमीदा हूँ / सौदा" के अवतरणों में अंतर

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नै1 बुलबुले-चमन न गुले-नौदमीदा2 हूँ
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नै<ref>न तो</ref> बुलबुले-चमन न गुले-नौदमीदा<ref>नया खिला फूल</ref> हूँ
मैं मौसमे-बहार में शाख़े-बरीदा3 हूँ
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मैं मौसमे-बहार में शाख़े-बरीदा<ref>टूटी शाख़</ref> हूँ
  
गिरियाँ न शक्ले-शीशा व ख़ंदा न तर्ज़े-जाम4
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गिरियाँ न शक्ले-शीशा व ख़ंदा न तर्ज़े-जाम<ref>न शीशे की तरह से रो रहा हूँ और न जाम की तरह से हँस रहा हूँ</ref>
इस मैकदे के बीच अबस5 आफ़रीदा6 हूँ
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इस मैकदे के बीच अबस<ref>व्यर्थ ही</ref> आफ़रीदा<ref>लाया गया</ref> हूँ
  
तू आपसे7 ज़बाँज़दे-आलम8 है वरना मैं
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तू आपसे<ref>स्वयं ही</ref> ज़बाँज़दे-आलम<ref>दुनिया की ज़बान पर चढ़ा हुआ</ref> है वरना मैं
इक हर्फ़े-आरज़ू9 सो ब-लब10 नारसीदा11 हूँ
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इक हर्फ़े-आरज़ू<ref>आरज़ू का शब्द</ref> सो ब-लब<ref>होंटो पर</ref> नारसीदा<ref>पहुँच से वंचित</ref> हूँ
  
कोई जो पूछता हो ये किस पर है दादख़्वाह12
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कोई जो पूछता हो ये किस पर है दादख़्वाह<ref>दाद चाहनेवाला</ref>
जूँ-गुल हज़ार जा से गरेबाँ-दरीदा हूँ13
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जूँ-गुल हज़ार जा से गरेबाँ-दरीदा हूँ<ref>फूल की तरह हज़ार जगह से मेरा गरेबान फटा हुआ है</ref>
  
तेग़े-निगाहे-चश्म14 का तेरे नहीं हरीफ़15
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तेग़े-निगाहे-चश्म<ref>निगाहों की तलवार</ref> का तेरे नहीं हरीफ़<ref>प्रतिद्वंदी</ref>
ज़ालिम, मैं क़तर-ए-मिज़ए-ख़ूँचकीदा16 हूँ
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ज़ालिम, मैं क़तर-ए-मिज़ए-ख़ूँचकीदा<ref>ख़ून रो रही पलकों पर टिका हुआ क़तरा</ref> हूँ
  
 
मैं क्या कहूँ कि कौन हूँ 'सौदा', बक़ौल दर्द
 
मैं क्या कहूँ कि कौन हूँ 'सौदा', बक़ौल दर्द
जो कुछ कि हूँ सो हूँ, ग़रज़ आफ़त-रसीदा17 हूँ
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जो कुछ कि हूँ सो हूँ, ग़रज़ आफ़त-रसीदा<ref>आफ़त में फँसा हुआ</ref> हूँ
  
'''शब्दार्थ:
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{{KKMeaning}}
1. न तो 2. नया खिला फूल 3. टूटी शाख़ 4. न शीशे की तरह से रो रहा हूँ और न जाम की तरह से हँस रहा हूँ 5. व्यर्थ ही 6. लाया गया 7. स्वयं ही 8. दुनिया की ज़बान पर चढ़ा हुआ 9. आरज़ू का शब्द 10. होंटो पर 11. पहुँच से वंचित 12. दाद चाहनेवाला 13. फूल की तरह हज़ार जगह से मेरा गरेबान फटा हुआ है 14. निगाहों की तलवार 15. प्रतिद्वंदी 16. ख़ून रो रही पलकों पर टिका हुआ क़तरा 17.आफ़त में फँसा हुआ
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17:09, 12 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

नै<ref>न तो</ref> बुलबुले-चमन न गुले-नौदमीदा<ref>नया खिला फूल</ref> हूँ
मैं मौसमे-बहार में शाख़े-बरीदा<ref>टूटी शाख़</ref> हूँ

गिरियाँ न शक्ले-शीशा व ख़ंदा न तर्ज़े-जाम<ref>न शीशे की तरह से रो रहा हूँ और न जाम की तरह से हँस रहा हूँ</ref>
इस मैकदे के बीच अबस<ref>व्यर्थ ही</ref> आफ़रीदा<ref>लाया गया</ref> हूँ

तू आपसे<ref>स्वयं ही</ref> ज़बाँज़दे-आलम<ref>दुनिया की ज़बान पर चढ़ा हुआ</ref> है वरना मैं
इक हर्फ़े-आरज़ू<ref>आरज़ू का शब्द</ref> सो ब-लब<ref>होंटो पर</ref> नारसीदा<ref>पहुँच से वंचित</ref> हूँ

कोई जो पूछता हो ये किस पर है दादख़्वाह<ref>दाद चाहनेवाला</ref>
जूँ-गुल हज़ार जा से गरेबाँ-दरीदा हूँ<ref>फूल की तरह हज़ार जगह से मेरा गरेबान फटा हुआ है</ref>

तेग़े-निगाहे-चश्म<ref>निगाहों की तलवार</ref> का तेरे नहीं हरीफ़<ref>प्रतिद्वंदी</ref>
ज़ालिम, मैं क़तर-ए-मिज़ए-ख़ूँचकीदा<ref>ख़ून रो रही पलकों पर टिका हुआ क़तरा</ref> हूँ

मैं क्या कहूँ कि कौन हूँ 'सौदा', बक़ौल दर्द
जो कुछ कि हूँ सो हूँ, ग़रज़ आफ़त-रसीदा<ref>आफ़त में फँसा हुआ</ref> हूँ

शब्दार्थ
<references/>