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'''भगवती चरण वर्मा''' का जन्म ३० अगस्त १९०३ को उन्नाव जिले (उ. प्र.) के शफीपुर गाँव में हुआ था । वर्माजी ने इलाहाबाद से बी.ए., एल. एल. बी. की डिग्री प्राप्त की और प्रारम्भ में कविता लेखन किया । फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात । १९३३ के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे । १९३६ के लगभग फिल्म कारपोरेशन, कलकत्ता, में कार्य । कुछ दिनों ‘विचार’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन-संपादन, इसके बाद बंबई में फिल्म-कथालेखन तथा दैनिक ‘नवजीवन’ का सम्पादन, फिर आकाशवाणी के कई केंन्दों में कार्य । बाद में, १९५७ से मृत्यु-पर्यंत स्वतंत्न साहित्यकार के रूप में लेखन ।
 
'''भगवती चरण वर्मा''' का जन्म ३० अगस्त १९०३ को उन्नाव जिले (उ. प्र.) के शफीपुर गाँव में हुआ था । वर्माजी ने इलाहाबाद से बी.ए., एल. एल. बी. की डिग्री प्राप्त की और प्रारम्भ में कविता लेखन किया । फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात । १९३३ के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे । १९३६ के लगभग फिल्म कारपोरेशन, कलकत्ता, में कार्य । कुछ दिनों ‘विचार’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन-संपादन, इसके बाद बंबई में फिल्म-कथालेखन तथा दैनिक ‘नवजीवन’ का सम्पादन, फिर आकाशवाणी के कई केंन्दों में कार्य । बाद में, १९५७ से मृत्यु-पर्यंत स्वतंत्न साहित्यकार के रूप में लेखन ।
  

17:46, 12 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

भगवती चरण वर्मा का जन्म ३० अगस्त १९०३ को उन्नाव जिले (उ. प्र.) के शफीपुर गाँव में हुआ था । वर्माजी ने इलाहाबाद से बी.ए., एल. एल. बी. की डिग्री प्राप्त की और प्रारम्भ में कविता लेखन किया । फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात । १९३३ के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे । १९३६ के लगभग फिल्म कारपोरेशन, कलकत्ता, में कार्य । कुछ दिनों ‘विचार’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन-संपादन, इसके बाद बंबई में फिल्म-कथालेखन तथा दैनिक ‘नवजीवन’ का सम्पादन, फिर आकाशवाणी के कई केंन्दों में कार्य । बाद में, १९५७ से मृत्यु-पर्यंत स्वतंत्न साहित्यकार के रूप में लेखन ।

‘चित्रलेखा’ उपन्यास पर दो बार फिल्म-निर्माण और ‘भूले-बिसरे चित्र’ साहित्य अकादमी से सम्मानित । पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त ।

निघन : ५ अक्तूबर, १९८१