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"तेरा हाथ मेरे काँधे / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
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15:28, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
तेरा हाथ मेरे काँधे पे दर्या बहता जाता है
कितनी खामोशी से दुख का मौसम गुजरा जाता है
नीम पे अटके चाँद की पलकें शबनम से भर जाती हैं
सूने घर में रात गये जब कोई आता-जाता है
पहले ईँट, फिर दरवाजे, अब के छत की बारी है
याद नगर में एक महल था, वो भी गिरता जाता है