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"ये चांदनी भी जिन को छूते हुए डरती है / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख दे
दुनिया उन्हीं फूलों को पैरों से मसलती है <br><br>
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यूँ याद तेरी शब भर सीने में सुलगती है
  
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जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है <br><br>
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जब रात की सरहद से इक रेल गुज़रती है
  
लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख दे <br>
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आँसू कभी पलकों पर ता देर नहीं रुकते
यूँ याद तेरी शब भर सीने में सुलगती है <br><br>
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उड़ जाते हैं ये पंछी जब शाख़ लचकती है
  
आ जाता है ख़ुद खींच कर दिल सीने से पटरी पर <br>
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ख़ुश रंग परिंदों के लौट आने के दिन आये
जब रात की सरहद से इक रेल गुज़रती है <br><br>
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15:53, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

ये चाँदनी भी जिन को छूते हुए डरती है
दुनिया उन्हीं फूलों को पैरों से मसलती है

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है

लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख दे
यूँ याद तेरी शब भर सीने में सुलगती है

आ जाता है ख़ुद खींच कर दिल सीने से पटरी पर
जब रात की सरहद से इक रेल गुज़रती है

आँसू कभी पलकों पर ता देर नहीं रुकते
उड़ जाते हैं ये पंछी जब शाख़ लचकती है

ख़ुश रंग परिंदों के लौट आने के दिन आये
बिछड़े हुए मिलते हैं जब बर्फ़ पिघलती है