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"नौ सपने / भाग 4 / अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर

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21:08, 14 फ़रवरी 2009 का अवतरण

मेरे और मेरी कोख तक –
यह सपनों का फ़ासला।

मेरा जिया हुलसा और हिया डरा,
बैसाख में कटने वाला
यह कैसा कनक था
छाज में फटकने को डाला
तो छाज तारों से भर गया...

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