भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुबह की तरह / सौरीन्‍द्र बारिक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: सुबह की तरह एक जानी-पहचानी नवीनता में चकित किया था मुझे। तुमने मु...)
(कोई अंतर नहीं)

20:48, 17 फ़रवरी 2009 का अवतरण

सुबह की तरह एक जानी-पहचानी नवीनता में चकित किया था मुझे।

तुमने मुझमें काकली-सी कोलाहल पूर्ण मधुरता भरकर मुग्‍ध किया था।

फिर चंद्रिका-सी देह में शीतल उष्‍णता भर कर तुमने मुझे उन्‍मत्‍त किया था।