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"रंग दुनिया ने दिखाया है निराला / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर

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मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है ,<br>
 
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है ,<br>
 
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है<br><br>
 
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है<br><br>
 
mohabbat ek ahsaason ki pawan si kahani hai
 
kabhi kabira deewana tha kabhi meera iwaanee hai
 
yahan sab log kehte hain meri aankho me aansoo hain
 
jo tu samjhe to moti hain
 
jo na samajhe to paani hai
 

02:14, 25 फ़रवरी 2009 का अवतरण

रंग दुनिया ने दिखाया है निराला, देखूँ,
है अँधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ
आईना रख दे मेरे हाथ में,आख़िर मैं भी,
कैसा लगता है तेरा चाहने वाला देखूँ
जिसके आँगन से खुले थे मेरे सारे रस्ते,
उस हवेली पे भला कैसे मैं ताला देखूँ

हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है
वही बातें पुरानी थी, वही किस्सा पुराना है,
तुम्हारे और मेरे बीच में फिर से ज़माना है

भ्रमर कोई कुमुदनी पे मचल बैठा तो हंगामा ,
हमारे दिल में कोई ख़्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब के सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का ,
मैं किस्से को हक़ीकत में बदल बैठा तो हंगामा -

बहुत बिखरा, बहुत टूटा, थपेडे़ सह नही पाया ,
हवाओं के इशारों पे मगर मैं बह नहीं पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया यूँ प्यार का किस्सा ,
कभी तुम सुन नही पाए, कभी मैं सुन नही पाया

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है ,
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है