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अफसाना -ए- हयात का उनवाँ तुम्हीं तो हो
तारे नफस नफ़स है जिस से ग़ज़लख्वाँ तुम्हीं तो हो
रोशन है तुम से शमए शबिस्ताने आरज़ू
"बर्क़ी" के इंतेज़ार की अब हो गई है हद
उसके तसव्वुरात में रक़साँ तुम्हीं तो हो</poem>