भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दौड़ती हांफ़ती सोचती जिंदगी / सतपाल 'ख़याल'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सतपाल 'ख़याल' |संग्रह= }} Category:ग़ज़ल <poem> दौड़ती हां...)
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
<poem>  
 
<poem>  
दौड़ती हांफ़ती सोचती जिंदगी
+
दौड़ती हाँफ़ती सोचती ज़िन्दगी
हर तरफ़ हर जगह हर गली जिंदगी.
+
हर तरफ़ हर जगह हर गली ज़िन्दगी
  
 
हर तरफ़  है धूल है धूप है दोस्तो
 
हर तरफ़  है धूल है धूप है दोस्तो
धूल और धूप में खाँसती जिंदगी.
+
धूल और धूप में खाँसती ज़िन्दगी
  
लब हिलें कुछ कहें कुछ सुने तो कोई
+
लब हिलें कुछ कहे कुछ सुने तो कोई
बहरे लोगों में गूंगी हुई जिंदगी.
+
बहरे लोगों में गूंगी हुई ज़िन्दगी
  
 
दिल उसारे महल सर पे छ्त भी नहीं
 
दिल उसारे महल सर पे छ्त भी नहीं
दिल से अब पेट पर आ गयी जिंदगी.
+
दिल से अब पेट पर आ गयी  
 
</poem>
 
</poem>

18:27, 1 मार्च 2009 का अवतरण

 
दौड़ती हाँफ़ती सोचती ज़िन्दगी
हर तरफ़ हर जगह हर गली ज़िन्दगी

हर तरफ़ है धूल है धूप है दोस्तो
धूल और धूप में खाँसती ज़िन्दगी

लब हिलें कुछ कहे कुछ सुने तो कोई
बहरे लोगों में गूंगी हुई ज़िन्दगी

दिल उसारे महल सर पे छ्त भी नहीं
दिल से अब पेट पर आ गयी