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"गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ / रैदास" के अवतरणों में अंतर

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14:25, 27 जनवरी 2008 के समय का अवतरण

गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ।

गांवणहारा कौ निकटि बतांऊँ।। टेक।।

जब लग है या तन की आसा, तब लग करै पुकारा।

जब मन मिट्यौ आसा नहीं की, तब को गाँवणहारा।।१।।

जब लग नदी न संमदि समावै, तब लग बढ़ै अहंकारा।

जब मन मिल्यौ रांम सागर सूँ, तब यहु मिटी पुकारा।।२।।

जब लग भगति मुकति की आसा, परम तत सुणि गावै।

जहाँ जहाँ आस धरत है यहु मन, तहाँ तहाँ कछू न पावै।।३।।

छाड़ै आस निरास परंमपद, तब सुख सति करि होई।

कहै रैदास जासूँ और कहत हैं, परम तत अब सोई।।४।। ।। राग रामकली।।