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"एक परवाज़ दिखाई दी है / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
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19:28, 11 मार्च 2009 का अवतरण
एक परवाज़ दिखाई दी है
तेरी आवाज़ सुनाई दी है
जिस की आँखों में कटी थी सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है
सिर्फ़ एक सफ़ाह पलट कर उस ने
बीती बातों की सफ़ाई दी है
फिर वहीं लौट के जाना होगा
यार ने कैसी रिहाई दी है
आग ने क्या क्या जलाया है शव पर
कितनी ख़ुश-रंग दिखाई दी है