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"ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै / रैदास" के अवतरणों में अंतर
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ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै। | ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै। |
14:28, 27 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
ऐसौ कछु अनभै कहत न आवै।
साहिब मेरौ मिलै तौ को बिगरावै।। टेक।।
सब मैं हरि हैं हरि मैं सब हैं, हरि आपनपौ जिनि जांनां।
अपनी आप साखि नहीं दूसर, जांननहार समांनां।।१।।
बाजीगर सूँ रहनि रही जै, बाजी का भरम इब जांनं।
बाजी झूठ साच बाजीगर, जानां मन पतियानां।।२।।
मन थिर होइ तौ कांइ न सूझै, जांनैं जांनन हारा।
कहै रैदास बिमल बसेक सुख, सहज सरूप संभारा।।३।।
।। राग रामकली।।