भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आधी रात / इला कुमार

41 bytes added, 15:33, 18 मार्च 2009
वहाँ
अपने डैनों डै नों को उर्ध्वता में फैलाये
महापक्षी
आकाश के शुन्य शून्य में मंडराता है
मति के मन्ता का मनन करता है
विज्ञति के विज्ञाता को तलाशता है
उसे सर्वान्तर का पता-ठिकाना चाहिए
पक्षी जो अकश्देव आकाशदेव के राज्य में मंडराता है
उसे कुहासे की तनी चद्दर
44
edits