भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पिंजरे के पंछी रे / प्रदीप" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार = प्रदीप | |
− | + | }} | |
− | + | ||
पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द ना जाने कोए<br><br> | पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द ना जाने कोए<br><br> |
02:04, 2 मई 2008 के समय का अवतरण
पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द ना जाने कोए
कह ना सके तू, अपनी कहानी
तेरी भी पंछी, क्या ज़िंदगानी रे
विधि ने तेरी कथा लिखी आँसू में कलम डुबोए
तेरा दर्द ना जाने कोए
चुपके चुपके, रोने वाले
रखना छुपाके, दिल के छाले रे
ये पत्थर का देश हैं पगले, यहाँ कोई ना तेरा होय
तेरा दर्द ना जाने कोए