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"रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर / भजन" के अवतरणों में अंतर

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रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर ।<br>
 
रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर ।<br>
  

20:22, 17 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर ।

देस देस से टीको आयो रतन कनक मनि हीर ।

घर घर मंगल होत बधाई भै पुरवासिन भीर ।

आनंद मगन होइ सब डोलत कछु ना सौध शरीर ।

मागध ब।दी सबै लुटावैं गौ गयंद हय चीर ।

देत असीस सूर चिर जीवौ रामचन्द्र रणधीर ।