भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुझे पंख दोगे? / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: मैंने किताबें माँगी मुझे चूल्हा मिला, मैंने दोस्त माँगा मुझे दू...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
मैंने किताबें माँगी
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
<Poem>
 +
मैंने किताबें मांगी
 
मुझे चूल्हा मिला,  
 
मुझे चूल्हा मिला,  
मैंने दोस्त माँगा
+
मैंने दोस्त मांगा
मुझे दूल्हा मिला.
+
मुझे दूल्हा मिला
  
 
+
मैंने सपने मांगे
मैंने सपने माँगे
+
 
मुझे प्रतिबंध मिले,
 
मुझे प्रतिबंध मिले,
मैंने संबंध माँगे
+
मैंने संबंध मांगे
मुझे अनुबंध मिले.
+
मुझे अनुबंध मिले।
 
+
  
कल मैंने धरती माँगी थी  
+
कल मैंने धरती मांगी थी  
 
मुझे समाधि मिली थी,
 
मुझे समाधि मिली थी,
आज मैं आकाश माँगती हूँ  
+
आज मैं आकाश मांगती हूँ  
 
मुझे पंख दोगे?
 
मुझे पंख दोगे?
 +
</poem>

17:47, 18 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

मैंने किताबें मांगी
मुझे चूल्हा मिला,
मैंने दोस्त मांगा
मुझे दूल्हा मिला

मैंने सपने मांगे
मुझे प्रतिबंध मिले,
मैंने संबंध मांगे
मुझे अनुबंध मिले।

कल मैंने धरती मांगी थी
मुझे समाधि मिली थी,
आज मैं आकाश मांगती हूँ
मुझे पंख दोगे?