भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दशमी / भूपेन हजारिका" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
+
{{KKAnooditRachna
 
|रचनाकार= भूपेन हजारिका  
 
|रचनाकार= भूपेन हजारिका  
 
|संग्रह=कविताएँ / भूपेन हजारिका  
 
|संग्रह=कविताएँ / भूपेन हजारिका  

19:19, 18 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: भूपेन हजारिका  » संग्रह: कविताएँ
»  दशमी


एक सुर

दो सुर, सुर के पंछियों का झुण्ड

झुण्ड के झुण्ड सुर बसेरे बनाते हैं

मन-शिविर में

आवाजाही जारी रहती है

शब्द का पताका तूफान

कुछ लोग गीतों के जरिए

सामने आते हैं

कण्ठरुद्घ प्रकाश

कण्ठहीन कण्ठ से

अनगिनत अन्तराएं

आबद्घ होता है नाद ब्रह्म

एक सुर दो सुर

सुर के पंछियों का झुण्ड

शून्य में उड़ता है

विसर्जन की प्रतिमा की तरह