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01:22, 26 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

आपकी ये हवेली बड़ी
फुलझडी, फुलझडी, फुलझडी

आपने चुन लिए हार पर
भेंट दीं क्यों हमें हथकडी

आपकी राजधानी सजी
यह गली तो अँधेरी पडी

कुमकुमे , झालरें , रोशनी
हिचकियाँ , आंसुओं की लड़ी

आँख में जल चुके शब्द सब
होंठ पर कील जिनके जड़ी

देखिए , द्वार पर लक्ष्मी
हाथ में राइफल ले खड़ी

भागिए अब किधर जबकि हर
लाश ने तान ली है छड़ी