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"जब से बुलबुल तूने दो तिनके लिये / अमीर मीनाई" के अवतरणों में अंतर
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21:52, 1 मई 2009 का अवतरण
जब से बुलबुल तूने दो तिनके लिये
टूटती है बिजलियाँ इनके लिये
है जवानी ख़ुद जवानी का सिन्ग़ार
सादगी गहना है उस सिन्न के लिये
कौन वीराने में देखेगा बहार
फूल जंगल में खिले किनके लिये
सारी दुनिय के हैं वो मेरे सिवा
मैंने दुनिया छोड़ दी जिन के लिये
बाग़बाँ कलियाँ हों हल्के रंग की
भेजनी हैं एक कमसिन के लिये
सब हसीं हैं ज़ाहिदों को नापसन्द
अब कोई हूर आयेगी इनके लिये
वस्ल का दिन और इतना मुख़तसर
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये